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Psychological Stress

Psychological Stress क्या है? इसके लक्षण, परिणाम और इलाज क्या है?

आज की भागदौड़ भरी दुनिया में कब क्या हो जाए यह कोई नहीं जानता हर कोई इतनी जल्दबाजी में होता है कि वह अपनी सेहत से जुड़ी महत्वपूर्ण बातों को भी नजरअंदाज कर देता है। जिसके चलते उन्हें कई तरह के तनाव का शिकार होना पड़ता है। आमतौर पर इसके बारे में व्यक्ति को पता नहीं चलता लेकिन आगे चल कर यह गंभीर स्थिति धारण कर लेता है। जिसके परिणाम बेहद घातक साबित होते हैं।

वर्तमान समय में लोगों के पास टाइम ही नहीं है। खुद के लिए कुछ करने, या व्यायाम आदि करने के लिए यहां तक कि सुबह का नाश्ता भी कई लोग नहीं कर पाते। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि हर व्यक्ति के लिए सुबह का नाश्ता अति आवश्यक होता है। यदि आप इसे नजरअंदाज करते हैं तो सारा दिन आपका शरीर काम अच्छे से नहीं कर पाता। लेकिन फिर भी हम दिन-ब-दिन अपनी जरूरतों को टालते जाते हैं।

इतना ही नहीं जिस तरह से महंगाई आसमान छू रही है लोगों को तनाव होना तो लाजमी है। नौकरियां कम हो रही हैं और जरूरतें बढ़ रही हैं जिसके चलते दिमाग पर बेहद बोझ पड़ता है। इसी बोझ को मानसिक तनाव का नाम दिया जाता है। आज हम आपको आर्टिकल के जरिए बताने जा रहे हैं कि Psychological Stress क्या होता है इसके लक्षण परिणाम और इलाज क्या है? पूरी जानकारी के लिए पूरा आर्टिकल पढ़ें:

Psychological Stress क्या है?

तनाव एक ऐसी स्थिति है जो मानसिक तौर पर और शारीरिक तौर पर हमें बोझ देती है। साइक्लोजिकल स्ट्रेस एक ऐसा स्ट्रेस होता है जो हम खुद से अपने दिमाग में बना लेते हैं। अपने आप ही खुद से अपने दिमाग में तनाव बनाए रखना उसे साइक्लोजिकल स्ट्रेस कहते है। कुछ हद तक स्ट्रेस हमारे शरीर के लिए अच्छा होता है। लेकिन जब यह स्ट्रेस बढ़ जाता है। तब शरीर में कई तरह की परेशानियां होने लगती है।

साइक्लोजिकल स्ट्रेस जब होता है। जब हम अपना आत्मविश्वास और शांति को खुद ही खो देते हैं। जब हमारे पास अपने तनाव से लड़ने के लिए आत्मविश्वास और शांति ही नहीं होगी तो हमें साइक्लोजिकल स्ट्रेस की परेशानियां झेलनी पड़ जाती है। जब हम अपने तय किए गए लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाते और इस के बीच कई तरह की रुकावटों का सामना करना पड़ जाता है।

साइक्लोजिकल स्ट्रेस एक दिमागी तनाव होता है जो शारीरिक तौर पर नहीं बल्कि अंदरूनी तौर पर महसूस किया जाता है। यह किसी को भी हो सकता है। नौजवान युवा या वृद्ध व्यक्ति इस तनाव के लिए कोई उम्र तय नहीं होती। उदाहरण स्वरूप जब किसी छात्र का कोई महत्वपूर्ण परीक्षा होती है तो उसे मानसिक तनाव होता है जैसे परीक्षा में पास होना या ना होना या परीक्षा जल्दी हो जाना। इस तरह की कई बातें अचानक से सामने आने पर दिमाग में काफी बोझ पढ़ना शुरू हो जाता है। जिसकी वजह से वह व्यक्ति तनाव में चला जाता है इसी को साइक्लोजिकल स्ट्रेस कहा जाता है।

Psychological Stress के लक्षण

मानसिक तनाव के लक्षण चार प्रकार के होते हैं। फिजिकल Physical, इमोशनल Emotional, थिंकिंग Thinking, चेंज इन बिहेवियर Change in Behavior और घरेलू हिंसा Domestic Violence। जब भी हमें मानसिक तनाव होता है तो हमारा शरीर 4 तरह के लक्षण दिखाता है। कई बार तनाव कम समय के लिए हो सकता है और कोई व्यक्ति लंबे समय तक भी इससे परेशान रह सकता है। तनाव की अवधि इस बात पर निर्भर करता है कि आपके जीवन में क्या बदलाव आया है।

1. फिजिकल स्ट्रेस (Physical Stress)

इस तनाव में व्यक्ति थका-थका महसूस करता है। जैसे नींद नहीं आना या बार-बार नहीं खुल जाना, समय से सोने और उठने के बावजूद भी ताजगी महसूस नहीं करना। शरीर में हर समय दर्द बने रहना और निरीक्षण कराने के बाद कुछ भी सामने नहीं आना। ज्यादातर देखा गया है जिन लोगों में मानसिक तनाव बढ़ जाता है। उन्हें माइग्रेन की शिकायत होती है। माइग्रेन एक ऐसी बीमारी है जिसमें आधे सर में दर्द उल्टी और बेचैनी बनी रहती है। यह भी एक तनाव का कारण है।

2. इमोशनल स्ट्रेस (Emotional Stress)

वर्तमान समय में यह बेहद ज्यादा लोगों में देखा जा रहा है। इमोशनल स्ट्रेस का मतलब भावनात्मक तनाव। जब हमारी भावनाएं किसी के साथ जुड़ी होती हैं या चाहे वह व्यक्ति हो या काम हो उस पर बार-बार चोट पहुंचाना यह भी तनाव का कारण होता है। जैसे अगर कोई लड़की यह सोचे कि उसे ट्रक ड्राइवर बनना है लेकिन घर के सदस्य और बाहर वाले उसके इस लक्ष्य को लेकर मजाक उड़ाए उसे भावनात्मक चोट पहुंचाना कहते हैं। यह भी एक बेहद घातक तनाव होता है। जिसके आगे चलकर बेहद दुखदाई प्रणाम सामने आते हैं।

3. थिंकिंग (Thinking)

हमेशा सोचते रहने वाला व्यक्ति भी तनाव में होता है। बेशक उस व्यक्ति को पता नहीं चलता लेकिन वह एक मानसिक तनाव में घिरा हुआ व्यक्ति होता है। अक्सर हम सोचते रहते हैं कि हमें अच्छी नौकरी मिल जाए, अच्छा पैसा मिल जाए वगैरा-वगैरा कभी-कभी व्यक्ति कुछ हटकर सोच लेता है। जो पूरा नहीं हो पाता उसकी वजह से भी ओवरथिंकिंग की बीमारी हो जाती है। इस तनाव में अक्सर हार्टबीट बढ़ना, दिल की धड़कन तेज हो जाना, सांस लेने में दिक्कत, अकेलापन महसूस करना आदि लक्षण नजर आते हैं।

4. चेंज इन बिहेवियर (Change in Behavior)

यह लक्षण सबसे पहला लक्षण होता है। जब हमें मानसिक तनाव होता है तो शरीर सबसे पहले यही लक्षण दिखाता है। वह व्यक्ति जो सबके बीच हंसता, बोलता, बैठना पसंद करता है। उस व्यक्ति को अक्सर आप अकेले बैठे रोते हुए पाएंगे। यह स्ट्रेस किसी भी क्षेत्र से जुड़ा हुआ हो सकता है। इस लक्षण में व्यक्ति नशे की आदतों एक ही तरफ बढ़ता जाता है। ज्यादा ऑनलाइन रहना, परिवार से अकेले रहना। यह चेंजिंग इन बिहेवियर लक्षण होते हैं। कई बार तो तनाव इतना बढ़ जाता है कि घरेलू हिंसा कि भी सामने आने लगती हैं।

Psychological Stress का इलाज क्या है?

मानसिक तनाव को कम करने के लिए हमें रोजाना कुछ ना कुछ कार्य करने चाहिए जो इस प्रकार हैं-

  1. व्यक्ति को रोजाना व्यायाम करने की आदत डालनी चाहिए। अपनी दिनचर्या में आउटडोर वॉक, साइकिलिंग, स्विमिंग, डांसिंग आदि क्रिया को शामिल करना चाहिए। यह सभी व्यक्ति के स्वभाव में बदलाव लाते हैं और उन्हें तनावमुक्त महसूस करते हैं।
  2. कुछ समय एकांत में बैठकर मेडिटेशन करना चाहिए। इससे ना सिर्फ आपका मूड अच्छा होगा बल्कि दिमाग में चल रही कई तरह की बातें भी शांत हो जाएंगी।
  3. मानसिक तनाव से जूझ रहे व्यक्ति को कम से कम रोजाना 8 घंटे सोना चाहिए। समय पर सोना और सुबह जल्दी उठने की आदत डालनी चाहिए।
  4. संगीत सुनना यह भी तनाव से मुक्ति दिलाता है अपना मनपसंद म्यूजिक सुनना चाहिए जिससे दिमागी तनाव कम होता है।
  5. जब भी किसी बात को लेकर तनाव बढ़ने लगे तो शरीर को एक्टिव करें जैसे कि गहरी सांस लें एक्सरसाइज करें बाहर निकले और दोस्तों के साथ समय बिताएं, टहलने जाएं अपने और अपने परिवार के साथ जुड़ी हुई खूबसूरत यादों को याद करें।
  6. अपनी जिंदगी में पाई गई उपलब्धियों को याद करें। एक प्रशिक्षित मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर द्वारा चिकित्सीय उपचार लेना चाहिए। जो मनोचिकित्सा विचारों, भावनाओं और व्यवहारों की पड़ताल करती है, और एक व्यक्ति की भलाई में सुधार करते है। दवा के साथ जोड़ी गई मनोचिकित्सा वसूली को बढ़ावा देने का सबसे प्रभावी तरीका है।
  7. हमें अपने रोजमर्रा के कार्यों में भगवान की साधना को भी शामिल करना चाहिए। जब इंसान को मानसिक तनाव होता है तो उसे अधिक से अधिक समय भगवान की सेवा में लगाना चाहिए। जिससे दिमाग को शांति पहुंचती है।
  8. मनोचिकित्सक की राय लेनी चाहिए उनके राय के अनुसार ही हमें दवाइयां लेनी और कार्य करने चाहिए। कई बार व्यक्ति इतना मानसिक तनाव में होता की आत्महत्या करने की कोशिश भी करता है। सही समय पर सही जानकारी होनी अति आवश्यक होती है।

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