भारत विभिन्न धर्मो वाला देश है। यहां हर एक धर्म का पूर्ण सम्मान किया जाता है। भारत देश में हिंदू धर्म का खास महत्व है। सनातन धर्म के अनुसार भगवान शिव सर्वश्रेष्ठ माने गए हैं। पूरे देश में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग हैं। जिनके दर्शन करने मात्र से लोगों की पीड़ा और कष्ट दूर हो जाती है। यहां तक कहा जाता है कि अगर इन 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन नहीं किए तो आध्यात्मिक क्षेत्र में आपकी उन्नति नहीं होती। अलग-अलग शास्त्रों में इन 12 ज्योतिर्लिंगों की अलग-अलग महिमा बताई गई है। आज हम आपको इन 12 ज्योतिर्लिंगों के बारे में विस्तार से पूरी जानकारी देने जा रहे हैं, जो आपके लिए काफी मददगार साबित होगी।
शिवपुराण में वर्णित है कि ब्रह्म, माया, जीव, मन, बुद्धि, चित्त, अहंकार, आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी को ज्योतिर्लिंग या ज्योति पिंड कहा गया है। इसके अलावा हमारे पुराणों के अनुसार जहाँ-जहाँ भगवान शिवजी स्वयं प्रगट हुए उन बारह स्थानों पर स्थित शिवलिंगों को ज्योतिर्लिंगों के रूप में पूजा जाता है। इन 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन मात्र से मनवांछित फल प्राप्त होता है और कई पापों से मुक्ति मिल जाती है, यही भगवान शिव की विशेषता है। हिन्दू धर्मग्रंथों में शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों का उल्लेख मिलता है। जहां-जहां ये शिव ज्योतिर्लिंग स्थापित हैं, आज वहां भव्य शिव मंदिर बने हुए है, जिन पर हिन्दू धर्मावलम्बियों के विशेष आस्था है। जानिए देश में कहां-कहां पर स्थित हैं, भगवान शिव के ये 12 ज्योतिर्लिंग और आज इन सभी ज्योतिर्लिंग के मानसिक दर्शन करते हैं।
भगवान शिव के पवित्र 12 ज्योतिर्लिंग
1. सोमनाथ ज्योतिर्लिंग (Somnath Jyotirlinga): गुजरात
सोमनाथ मन्दिर पश्चिमी छोर पर गुजरात नामक प्रदेश में स्थित एक अत्यन्त प्राचीन व ऐतिहासिक शिव मन्दिर का नाम है। यह भारतीय इतिहास तथा हिन्दुओं के चुनिन्दा और महत्वपूर्ण मन्दिरों में से एक है। इसे आज भी भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में सर्वप्रथम ज्योतिर्लिंग के रूप में माना व जाना जाता है। इस ज्योतिर्लिंग को चंद्रमा ने स्थापित किया था। इस शिवलिंग के पीछे एक कहानी है जो कि ऋग्वेद में उल्लेखित है। इस कहानी के अनुसार चंद्रमा को दक्ष प्रजापति से क्षय रोग का श्राप मिला था। अपने इस श्राप के निवारण हेतु चंद्रमा ने इस ज्योतिर्लिंग का निर्माण किया था। लगातार छह महीने भगवान शिव की तपस्या करने पर उन्हें भगवान शिव के द्वारा इस श्राप से मुक्ति मिली। इस ज्योतिर्लिंग को लेकर मान्यता है कि यहां पर दर्शन मात्र से रोग और कष्ट दूर होते हैं। यहां त्रिवेणी स्नान का भी विशेष महत्व है।
2. मल्लिका अर्जुन ज्योतिर्लिंग (Malikaarjun Jyotirlinga): आंध्र प्रदेश
यह ज्योतिर्लिंग 12 ज्योतिर्लिंगों में दूसरा स्थान पर है। मल्लिका अर्जुन ज्योतिर्लिंग आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैल नामक पर्वत पर स्थित है। हिंदू धर्म ग्रंथ शिव पुराण के अनुसार इस ज्योतिर्लिंग का नाम मल्लिका अर्जुन पार्वती माता और भगवान शिव के नाम पर पड़ा। जिसमें मलिका का अर्थ पार्वती और अर्जुन शब्द भगवान शिव के लिए प्रयोग किया गया है। इस ज्योतिर्लिंग की खास मान्यताएं हैं की इस ज्योतिर्लिंग को दक्षिण का कैलाश भी कहते हैं और भगवान शिव के पूर्व प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है। बता दें कि मलिकार्जुन मंदिर के पीछे पार्वती का मंदिर है। जहां पार्वती मलिका देवी के नाम से जानी जाती हैं। यह मंदिर जिस कृष्णा नदी के तट पर स्थित है उसे पताल गंगा भी कहा जाता है।
3. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग (Mahakaleshwar Jyotirlinga): मध्य प्रदेश
भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में से सबसे अधिक ज्योतिर्लिंग मध्यप्रदेश महाराष्ट्र में स्थापित हैं। यहां सभी ज्योतिर्लिंगों की अपनी अलग-अलग मान्यताएं और महिमा है। इन 12 ज्योतिर्लिंगों में तीसरे स्थान पर महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग आता है। यह ज्योतिर्लिंग उज्जैन में सबसे प्रसिद्ध महाकालेश्वर के नाम से जाना जाता है। यहां भगवान शिव की भस्म से आरती की जाती है। जिसे देखने का सौभाग्य कुछ लोगो को मिल पता है। उज्जैन के महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने मात्र से इंसान के सारे दुख और क्लेशो का नाश होता है। शिप्रा नदी के किनारे बसे उज्जैन में सिंहस्थ महाकुंभ का आयोजन होता है। उज्जैन के वासी महाकाल को उज्जैन के राजा के नाम से भी पुकारते हैं।
4. ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग (Omkareshwar Jyotirlinga): मध्य प्रदेश
मध्यप्रदेश के मालवा क्षेत्र में शिव का यह पावन धाम स्थित है। इंदौर शहर के पास जिस स्थान पर यह ज्योतिर्लिंग है। उस स्थान पर नर्मदा नदी बहती है और पहाड़ी के चारों और नदी बहने से यहां ओमकार बनता है। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग चौथे स्थान पर हैं। यहां पर भगवान शंकर दो रूप में विराजमान हैं एक ओमकारेश्वर और दूसरे ममलेश्वर। दो रूपों में होने के बावजूद भी यहां पर भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग को ओमकारेश्वर के नाम से ही पुकारा जाता है। सदियों पहले भील जनजाति ने इस जगह पर लोगों की बस्तियां बसाई और अब यह जगह अपनी भव्यता और इतिहास से प्रसिद्ध है। यह मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में तथा स्थित है।
5. केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग (Kedareshwar Jyotirlinga): उत्तराखंड
केदारनाथ मंदिर (Kedarnath Temple) भारत के उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित हिंदुओं का सबसे प्रसिद्ध मंदिर है। 12 ज्योतिर्लिंगों में पांचवें नंबर पर केदारनाथ ज्योतिर्लिंग का नाम आता है। यहां स्थित स्वयंभू शिवलिंग अति प्राचीन है। आदि शंकराचार्य ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया। उत्तराखंड में केदारनाथ प्रधान तीरथ है। यह ज्योतिर्लिंग साल में केवल 6 महीने अप्रैल से लेकर नवंबर तक ही खुला रहता है। बहुत ज्यादा ठंड और बर्फबारी होने की वजह से इसे साल के 6 महीने ही दर्शन के लिए खोला जाता है। इस मंदिर के बाहर नंदी जी विराजमान हैं। केदारनाथ समुद्र तल से 3584 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
6. भीमशंकर ज्योतिर्लिंग (Bhimashankar Jyotirlinga): महाराष्ट्र
भीमाशंकर मंदिर महाराष्ट्र में पुणे से करीब 100 किलोमीटर दूर स्थित सह्याद्रि नामक पर्वत पर है। यह स्थान नासिक से लगभग 120 मील दूर है। यह मंदिर भारत में पाए जाने वाले बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। 3,250 फीट की ऊंचाई पर स्थित इस मंदिर का शिवलिंग काफी मोटा है। सहाद्रि नामक पर्वत में हुआ। भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग भगवान शंकर के 12 दर्शनीय ज्योत्रिलिंगो में 6वें स्थान पर हैं। मराठा राज्य के महाराज छत्रपति शिवाजी यहां कई बार पूजन करने आते थे। इस ज्योतिर्लिंग को लेकर एक मान्यता यह भी है कि यहां दर्शन करने मात्र से लोगों के सारे मनवांछित कार्य पूर्ण होते हैं।
7. काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग (Kashi Vishwanath Jyotirlinga): उत्तर प्रदेश
यह ज्योतिर्लिंग उत्तर प्रदेश की धार्मिक भूमि वाराणसी शहर में स्थित है। अहिल्याबाई होलकर ने काशी विश्वनाथ मंदिर बनवाया जिस पर पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह ने सोने का छत्र बनवाया। ग्वालियर की महारानी बैजाबाई ने ज्ञानवापी का मंडप बनवाया और महाराजा नेपाल ने वहां विशाल नंदी प्रतिमा स्थापित करवाई। ऐसी मान्यता है कि अगर भक्त एक बार इस मंदिर के दर्शन और पवित्र गंगा में स्नान कर ले तो मोक्ष की प्राप्ति होती है।
8. त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग (Trimbakeshwar Jyotirlinga): महाराष्ट्र
यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के नासिक जिले में पंचवटी से लगभग 18 मील की दूरी पर गोदावरी नदी के किनारे स्थित है। 12 ज्योतिर्लिंगों में आठवें स्थान पर आने वाले त्रंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के बारे में एक महत्वपूर्ण रहस्य यह है कि मुख्य मंदिर के भीतर एक गड्ढे में तीन छोटे-छोटे शिवली पाए गए। इन्हें ब्रह्मा, विष्णु और महेश इन तीनों का प्रतीक माना जाता है। अमृत कुंड नाम का एक कुंड भी इस ज्योतिर्लिंग विशेषता है। त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग में भगवान शिव प्रकट हुए थे। गौतम ऋषि ने शिवलिंग की स्थापना करके पूजा शुरू कर दी।
9. वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग (Baidyanath Jyotirlinga): झारखंड
12 ज्योतिर्लिंगों में झारखंड के देवघर जिला में स्थित वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग 9 वें ज्योतिर्लिंग में आते हैं। यहां भगवान शिव के सबसे प्रिय महीने सावन में लाखों भक्तों का तांता लगता है। हर साल सावन महीने में यहां लाखों श्रद्धालु भगवान शिव का अभिषेक करते हैं। शिव पुराण के अनुसार शिव ने रावण को उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर मनोवांछित वरदान मांगने के लिए कहा था। जिस पर रावण ने उन्हें अपने साथ कैलाश पर्वत को छोड़ लंका ले जाने की इच्छा जाहिर की थी। भगवान शिव ने खुद लंका जाने से मना करने पर उन्हें अपने स्वरुप यह ज्योतिर्लिंग दिया था। और कहा था कि तुमने अगर इस लिंग को जहां रख दिया यह वही स्थापित हो जाएगा। इसी पर भगवान शिव झारखंड के बैजनाथ ज्योतिर्लिंग के रूप में जाने जाते हैं। वेदनाथ धाम माता सती का हृदय गिरा था। इसलिए यह एक शक्तिपीठ भी है। यहां आने वाले सभी भक्तों की मनोकामना पूर्ण होती है। इसलिए इसे ज्योतिर्लिंग को कामना लिंग भी कहा जाता है।
10. नागेश्वर ज्योतिर्लिंग (Nageshwar Jyotirlinga): गुजरात
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग गुजरात के बड़ौदा क्षेत्र में गोमती द्वारका के करीब स्थित है। यह ज्योतिर्लिंग 12 ज्योतिर्लिंगों में दसवें स्थान पर आता है। इस ज्योतिर्लिंग को लेकर मान्यता यह है कि यहां पर भगवान शिव का अभिषेक करने से मनोवांछित फल मिलता है। द्वारकाधीश भगवान ने भी यहाँ शिवलिंग का रुद्राभिषेक किया था। भगवान शिव के अनेक नाम है। भगवान शिव ने गले में नाग धारण किया हुआ है। जिसकी वजह से उन्हें नागेश्वर भी कहा जाता है। यह ज्योतिर्लिंग भी भगवान शिव के इसी नाम से प्रचलित नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता है।
11. रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग (Rameshwaram Jyotirlinga): तमिलनाडु
रामेश्वर ज्योतिर्लिंग भारत के सबसे पवित्र हिंदू तीर्थ स्थलों में से एक है।यह तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में स्थित है। 12 ज्योतिर्लिंगों में 11वें स्थान पर रामेश्वर ज्योतिर्लिंग का नाम आता है। इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना भगवान राम और माता सीता ने अपने हाथों से की थी।धार्मिक ग्रंथों के अनुसार जब भगवान राम रावण पर विजय प्राप्त कर कर वापस आ रहे थे। और उन्होंने अपने आराध्य को धन्यवाद करने हेतु उनके पूजन के लिए वहां रेत से यह शिवलिंग अपने हाथों से बनाया था। तब भगवान शिव इस शिवलिंग में ज्योति स्वरूप प्रगट हुए और उन्होंने इस लिंग को श्री रामेश्वर के नाम से पुकारे जाने का वरदान दिया। इस ज्योतिर्लिंग को विजय के रूप में भी जाना जाता है।
12. घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग (Grishneshwar Jyotirlinga): महाराष्ट्र
महाराष्ट्र के औरंगाबाद के निकट दौलताबाद के पास 12 ज्योतिर्लिंगों के अंतिम स्थान पर आने वाले यह घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थापित हैं। घुश्मेश्वर-ज्योतिर्लिंग की महिमा पुराणों में बहुत विस्तार से वर्णित की गई है। इनका दर्शन लोक-परलोक दोनों के लिए अमोघ फलदाई है। यह ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के परम भक्त घुश्मा की भक्ति से प्रकट हुआ था। इस स्थान को ‘शिवालय’ भी कहा जाता है। सती शिवभक्त घुश्मा के आराध्य होने के कारण वे यहाँ घुश्मेश्वर महादेव के नाम से विख्यात हुए।