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GPS (Global Positioning System)

GPS (Global Positioning System) का मतलब क्या होता है? यह कैसे काम करता है?

GPS का फुल फॉर्म “ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम(Global Positioning System) होता है जिसे शॉर्ट फॉर्म में “जीपीएस” GPS कहते हैं। यह एक ग्लोबल नेवीगेशन सैटलाइट सिस्टम है। जिसके इस्तेमाल से किसी भी वस्तु या स्थान की स्थिति का पता लगाया जा सकता है। यह ऐसा नेविगेशन सिस्टम होता है। जो सेटेलाइट पर आधारित होता है। किसी भी लोकेशन की सटीक जानकारी के लिए उपग्रहों का इस्तेमाल करते हैं। कुल मिलाकर 29 नेविगेशन उपग्रह पृथ्वी के ऊपर चक्कर काट रहे हैं और सम्बंधित जानकारी सिग्नल के रूप में भेज रहे हैं। इन उपग्रहों के माध्यम से भेजे गए डेटा के आधार पर सटीक लोकेशन की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। जीपीएस धरती के Orbit में उपस्थित सैटेलाइट्स की प्रणाली पर काम करता है।

इन्हीं सैटेलाइट्स के द्वारा ही जीपीएस किसी व्यक्ति अथवा वस्तु को ट्रेक कर उसकी लोकेशन, सिग्नल्स व अन्य डाटा पृथ्वी पर ट्रेक करने वाले व्यक्ति तक पहुँचाये जाते है। इसके इस्तेमाल से कोई भी व्यक्ति दुनिया में कहीं पर भी रहते हुए धरती पर अपनी Position का सही पता लगा सकता है। इसके इस्तेमाल से सम्पूर्ण पृथ्वी का Map देखा जा सकता है। एक स्थान से दुसरे स्थान पर जाने के लिए रास्तों का भी पता लगाया जा सकता है। जानकारी के लिए बता दें भारत के जीपीएस यानी नेविगेशन सिस्टम का नाम इंडियन रिजनल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (आईआरएनएसएस) यानी नेवआईसी है। यह देशभर में सीमाओं से करीब 1500 किलोमीटर दूर तक पूरी तरह से सटीक जानकारी देता है—हालांकि इसका एक्सटेंडेड सर्विस एरिया भी है।

यह सेटेलाइट अलग-अलग विषयों में काम करता है। इसकी मदद से किसी भी भौगोलिक स्थान या वस्तु का लोकेशन पता करने के लिए और विभिन्न प्रकार की एप्लीकेशन में इसका बहुत अधिक उपयोग होता है। जीपीएस सिस्टम लगभग 24 अलग-अलग सेटअप ऑपरेट होता है। और यह चौबीसों घंटे लोकेशन बताने का कार्य करता है। वर्तमान समय में जीपीएस सिस्टम का उपयोग जीपीएस रिसीवर को कई तरह से प्रयोग किया जा रहा है जैसे ऑटोमोबाइल, स्मार्टफोन, हेल्थ सेंटर, जी आई एम ए, स्मार्ट वॉच आदि। जानकारी के लिए बता दें कि जीपीएस का सर्वप्रथम निर्माण 1960 में अमेरिकी रक्षा विभाग द्वारा किया गया था। इसका मुख्य उपयोग अमेरिकी सैनिकों और सैन्य वाहनों के लिए किया जाता था उस समय इसका उपयोग सिर्फ सैनिकों के लिए ही था। जिसे बाद में आम जनता के लिए भी शुरू किया गया।

लेकिन अब इस तकनीक का उपयोग लगभग सभी देशों के नागरिक भी कर सकते हैं। आज जीपीएस की मदद से कोई भी व्यक्ति किसी स्थान, रास्ते व अन्य व्यक्ति का पता कर सकता है। जीपीएस एक रेडियो नेविगेशन प्रणाली है जीपीएस सेटेलाइट द्वारा ऑपरेट होता है। यह पृथ्वी की कक्षा में उपग्रहों के प्रयोग पर आधारित है। इसका उपयोग किसी टेक्नोलॉजी टेक्निकल डिवाइस या फिर किसी इंसान की टेक्निकली रूप से लोकेशन पता करना होता है। तब जीपीएस की मदद ली जाती है। आपने देखा होगा जब कभी स्मार्टफोन में कई ऐसे होते हैं। जिन्हें इस्तेमाल करने के लिए लोकेशन की परमिशन मांगी जाती हैं। उस समय हमें जो ऑप्शन ऑन करना होता है। उसे जीपीएससी कहते हैं।

GPS APP DOWMLOAD कैसे करें?

  1. सबसे पहले गूगल प्ले स्टोर पर जाकर GPS Tracker by Follow Me एप को डाउनलोड करें।
  2. एप को ओपन करें।
  3. अब आपको अपना अकाउंट बनाना होगा जिसके लिए पेज पर दिए गए लिंक को क्लिक करना होगा।
  4. अब एक नया पेज ओपन होगा।
  5. इसके बाद आपके फोन में टॉप पर जीपीएस का साइन आ जाएगा। यहां आपको अपना अकाउंट लॉगइन करना होगा।

जीपीएस (Global Positioning System) कैसे काम करता है?

जब भी आप अपने फोन पर किसी ऐसे ऐप का उपयोग करते हैं। जिसके लिए आपको मैप या व्यक्ति संबंधी कोई जानकारी चाहिए होती है। उस समय आपसे जीपीएस ऑन करने की परमिशन मांगी जाती हैं। जीपीएस सिस्टम पृथ्वी की और भीड़ में घूमने वाले सेटेलाइट से मिलने वाले सिगनल्स के आधार पर काम करता है। सेटेलाइट जितने ज्यादा होंगे उतने ही स्पीक लोकेशन पता चल पाएगी। वर्तमान समय में इसे ट्रैवलिंग और सही लोकेशन जानने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

फोन में जीपीएस ऑप्शन को ऑन करने से अगर आपका फोन कभी खो जाता है तो आपको अपने फोन के बारे में पूरी जानकारी हासिल हो जाती है। ट्रैवल करते हुए हमें मैप का यूज़ करते हैं। उस दौरान भी जीपीएस की काम करता है। किसी स्थानीय व्यक्ति की स्टिक जानकारी के लिए जीपीएस का इस्तेमाल किया जाता है। फोन में जीपीएस चिप लगाकर आप अपने लोकेशन अपने घरवालों, दोस्तों के साथ शेयर कर सकते हैं।

खास तौर पर जीपीएस सिस्टम देर रात बाहर काम करने वालों के लिए लाभदायक होता है। इसकी मदद से हमें अपनों की सिथिति के बारे में जानकारी मिलती रहती है। जीपीएस का प्रयोग स्थान वेग और ऊंचाई की गणना करने के लिए किया जाता है। वर्तमान समय में जीपीएस डिवाइस को कम से कम 4 उपग्रहों में संकेत पढ़ने में सक्षम होना चाहिए। यदि एक बार अगर इन Satellite की आप से दूरी पता चल जाए तो GPS से आप की Location पता चला सकती है। यह ट्रिलेटरेशन तकनीक के आधार पर काम करता है। इस प्रक्रिया को Trilateration कहते है। यह सिग्नल्स रिसीवर तक पहुंचने में कितना टाइम लगा, यह सैटेलाइट की दुरी पर ही निर्भर होता है।

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