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ऑटो स्वीप फैसिलिटी और फिक्स्ड डिपाजिट अकाउंट में क्या अंतर है और इनके क्या फायदे हैं?

ऑटो स्वीप फैसिलिटी और फिक्स्ड डिपाजिट अकाउंट में क्या अंतर है और इनके क्या फायदे हैं?

आज के समय में ज्यादातर लोग सेविंग अकाउंट का इस्तेमाल करते हैं। डिजिटल दुनिया में ऑनलाइन ट्रांजैक्शन करने के लिए और यूपीआई को एक्टिवेट करने के लिए सभी को सेविंग अकाउंट की जरूरत पड़ती है। सेविंग अकाउंट एक ऐसा अकाउंट होता है जिसमें व्यक्ति बैंक में अपनी सुविधा के अनुसार अपने पैसे को सुरक्षित रख सकता है। बता दे कि सेविंग अकाउंट में आपको बैंक की तरफ से तय किया गया ब्याज दर मिलता है, जो ज्यादा नहीं होता। अगर आपके अकाउंट में एक अच्छा खासा अमाउंट है तो अपने सेविंग अकाउंट को आप ऑटो स्वीप फैसिलिटी (Auto Sweep Facility) के साथ जुड़वा सकते हैं। बता दें कि ऑटो स्वीप फैसिलिटी को ऐड करवा कर एफडी के ब्याज का लाभ सेविंग अकाउंट पर ले सकते हैं।

चलिए इसे आसान भाषा में समझते हैं जैसे आप के सेविंग अकाउंट में कुछ पैसा पड़ा है और आपको अपने पैसे की ज्यादा लंबे समय तक कोई जरूरत नहीं पड़ती तो आप उस सेविंग अकाउंट को स्विच कर स्वीप अकाउंट के साथ जोड़कर अपने रखे हुए पैसों पर ज्यादा ब्याज पा सकते हैं। अपने सेविंग अकाउंट की एक माउंट तय कर आप अपना बाकी का पैसा फिक्स डिपाजिट के रूप में बदल सकते हैं।

जिस पर आपको बैंक के द्वारा तय किए गए ब्याज से ज्यादा ब्याज मिलता है। इस सुविधा का लाभ उठाने के लिए आपको अपने सेविंग अकाउंट को एफडी अकाउंट से लिंक करवाना पड़ता है। इसके लिए आपको अपने नजदीकी बैंक में जाकर इस सर्विस को ऑन करने के लिए कहना होगा। इसके बाद आपका अमाउंट एफडी अकाउंट में ट्रांसफर हो जाएगा।

जानिए ऑटो स्वीप फैसिलिटी (Auto Sweep Facility) के फायदे

  1. आमतौर पर बैंकों द्वारा सेविंग अकाउंट पर दिए जाने वाला ब्याज एफडी के मुकाबले काफी कम होता है।
  2. बैंकों द्वारा जा रहा था सेविंग अकाउंट पर आपको 2.50 पर 4% लेकिन एफडी करवाने पर आपको पांच से 7% का ब्याज मिलता है।
  3. इस तरह से आप अपने सेविंग अकाउंट को ऑटो स्वीप फैसिलिटी से जुड़वा कर एफडी के जरिए अच्छा रिटर्न ले सकते हैं।

अगर आप सीधे एफडी करवाते है और किसी कारणवश बीच में एफडी तुड़वाने पड़ता है। तो आपको लॉस होता है। लेकिन इस तरह से सेविंग अकाउंट में एफडी जुड़वाने के कारण आप किसी बंधन में नहीं रहते आप कभी भी अपने अकाउंट से पैसा निकाल सकते हैं।

फिक्स्ड डिपाजिट (Fixed Deposit)

फिक्स डिपॉजिट को हिंदी में सावधि जमा खाता कहा जाता है। यह एक सुरक्षित निवेश विकल्प होता है। इसमें व्यक्ति अपनी इच्छा अनुसार राशि जमा करवा सकता है। फिक्स डिपॉजिट में बैंक द्वारा तय की गई राशि पर तय किया गया ब्याज दर मिलता है। अलग-अलग वित्तीय संस्थानों जैसे कि सरकारी, गैर सरकारी बैंक, पोस्ट ऑफिस में ब्याज दर अलग-अलग होती है। इसमें निवेश किए जाने की अधिकतम अवधि 10 साल होती है। आप किसी भी बैंक में ऑनलाइन भी आसानी से एफडी खोल सकते हैं। एफडी एक बार का निवेश है।

इसलिए आप जमा कर अपनी निवेश के बारे में भूल सकते हैं। इसमें जमा की गई राशि की निगरानी करने की कोई आवश्यकता नहीं होती। फिक्स डिपॉजिट में 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को यानी वरिष्ठ नागरिकों को तय किए गए ब्याज दर ज्यादा ब्याज मिलता है। लेकिन आप समय से पहले अपनी जमा की गई धनराशि को निकलवाना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको बैंक से संपर्क करना होगा। लेकिन समय से पहले जमाराशि निकलवाने पर आप को जुर्माना देना पड़ता।

अपने परिपक्वता पर निर्धारित समय पर जमा धनराशि ब्याज के साथ मिल जाती है। एफडी के जरिए एक निश्चित अवधि के लिए एक पूर्व निर्धारित ब्याज दर पर एक निश्चित राशि का निवेश किया जाता है। इसे लेकर भारतीय रिज़र्व बैंक समय-समय पर अलग गाइडलाइंस जारी करती है। कुछ प्राइवेट संस्था भी एफडी जमा करवाने की पेशकश करती हैं। जहां पर आप को सरकारी बैंकों से मुकाबले ज्यादा ब्याज दर मिलती है। लेकिन यहां पर खतरा भी सरकारी बैंकों से ज्यादा होता है। कभी आगे चलकर किसी वजह से बैंक अगर दिवालिया हालत में हो जाता है। तो आपके निवेश किए गए धनराशि आपको वापस नहीं मिलती।

एफडी करवाने का सबसे खास फायदा यह है कि इसमें ब्याज सहित पूरी राशि टेक्स्ट फ्री मिलती है। एफडी करवाने के लिए आपके पास कुछ जरूरी दस्तावेज आवश्यक है।

  1. आधार कार्ड
  2. पासपोर्ट
  3. पैन कार्ड
  4. वोटर आईडी कार्ड
  5. ड्राइविंग लाइसेंस
  6. टेलीफोन का बिल
  7. बिजली का बिल बैंक स्टेटमेंट

बता दें कि आजकल हर एक सुविधा ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों ही तरह से मौजूद है। अगर आप अभी ऑनलाइन खुलवाना चाहते हैं तो इसका ऑप्शन भी आपके लिए मजूद है। वर्तमान समय में फिक्स्ड डिपॉजिट पर लगभग 7 से 9 प्रतिशत की दर से ब्याज दी जा रही है।

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