यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी समान नागरिक संहिता का खास उद्देश्य महिलाओं और धार्मिक अल्पसंख्यकों सहित अंबेडकर द्वारा परिकल्पित कमजोर वर्गों को सुरक्षा प्रदान करना है। यूनिफॉर्म सिविल कोड धार्मिक समुदाय पर लागू होने के लिए एक देश का नियम का अहान करता है। डॉ भीमराव अंबेडकर जब संविधान लिख रहे थे। तभी उन्होंने समान नागरिक संहिता को इस संविधान में शामिल करने की बात कही। लेकिन उस समय की सरकार की वजह से अंबेडकर अपने इस सपने को पूरा नहीं कर पाए। जिसके चलते नागरिक संहिता “अनुच्छेद 44” में रखा गया।
बता दे अनुच्छेद 44 संविधान में वह जगह है। जहां पर आने वाले समय पर सरकार इन मुद्दों पर काम करेगी। अनुच्छेद 44 इन सभी मुद्दों पर आधारित है। पिछले कई समय से यूनिफॉर्म सिविल कोड अनुच्छेद 44 के अंतर्गत था। हाल ही में इसको लेकर दोबारा से जागरूकता फैल रही है। सरकार भी अपने कड़े प्रयास कर रही है। समान नागरिक संहिता लागू हो जाने पर देश के साथ-साथ देश की जनता को भी लाभ पहुंचेंगे।
जाने क्या है समान नागरिक संहिता यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड (Uniform Civil Code)
समान नागरिक संहिता देश के लिए एक कानून सुनिश्चित करेगी जो सभी धार्मिक, आदिवासी समुदायों पर उनके व्यक्तिगत मामलों जैसे संपत्ति विवाद, विरासत और गोद लेने आदि में लागू होगा। आजादी के बाद भारत का संविधान बनाने में जुटी संविधान सभा के सामने 11 अप्रैल 1947 को डॉ भीमराव अंबेडकर ने हिंदू सिविल कोड बिल पेश किया था। इस बिल में बिना वसीयत किए मृत्यु को प्राप्त हो जाने वाले हिंदू पुरुषों तथा महिलाओं की संपत्ति के बंटवारे के संबंध में कानूनों को संहिता बद्ध किए जाने का प्रस्ताव था।
भारत में समान नागरिक संहिता लागू नहीं है बल्कि भारत में अधिकतर निजी कानून धर्म के आधार पर तय किए गए हैं। हिंदू, सिख, जैन और बौद्ध के लिए एक व्यक्तिगत कानून है। जबकि मुसलमानों और ईसाइयों के लिए अपने कानून हैं। जिसकी वजह से हर एक धर्म का वर्ग अपनी इच्छा अनुसार कर्म करता है। जैसे हिंदू धर्म में एक पत्नी के होते दूसरी शादी का कोई विधान नहीं। लेकिन वहीं दूसरी तरफ मुसलमान वर्ग में 4 पत्नियां रखने का प्रावधान है। कई वर्गों में विधवा और तलाकशुदा औरतों को किसी प्रकार की कोई सहायता नहीं मिलती। जिसकी वजह से उन्हें कई कष्टों का सामना करना पड़ता है।
गोद लेने और उत्तराधिकारी के समय भी कई मामले सामने आ जाते हैं। कुछ समय पहले मुसलमान वर्ग से एक केस सामने आया था। जिसमें 60 साल की महिला ने समान नागरिक संहिता कोड लागू करने के लिए कोर्ट के आगे अपील की थी। इस केस में इस मुसलमान वर्ग की महिला के पति ने इन्हें छोड़ दिया था। इतनी उम्र बीत जाने के बाद इस महिला को पति द्वारा किसी तरह की कोई आर्थिक सहायता नहीं मिल रही थी। सिर्फ तीन बार तलाक तलाक कह देने पर महिला का तलाक हो गया था। जिसे लेकर वह कोर्ट पर अपील करने पहुंची थी सुप्रीम कोर्ट ने इस केस को लेकर उस समय की सरकार से इसके इस कोड को लाने के बारे में कहा था।
लेकिन कई समय से कोई भी सरकार इस कोड को लेकर कुछ भी कार्य नहीं कर रही। इस कोड के लागू हो जाने के बाद हर धर्म अपने समाजिक वर्ग को लेकर अलग कानून नहीं बनाएगा। बल्कि सब पर एक ही कानून लागू होगा। सब पर एक कानून लागू होने को ही यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी समान नागरिक संहिता कहा जाता है। जानकारी के लिए बता दें की भारत में एक ऐसा राज्य है जहां आजादी से पहले ही यूनिफॉर्म सिविल कोड लागु किया जा चूका है। जी हाँ यह राज्य “गोवा” है। कहा जा रहा है की बीजेपी सरकार उत्तराखंड में इस कोड को लागु करने की तैयारी कर रही है। जिसके बाद देश के कई राज्य बीजेपी इस कोड को लागु करेगी।
समान नागरिक संहिता से देश की होगी तरक्की
यूसीसी (Uniform Civil Code) का उद्देश्य एकता के महाउत्साह को बढ़ावा देते हुए महिला और धार्मिक अल्पसंख्यक सहित समाज के कमजोर वर्ग की रक्षा करना है। यदि कोड अधिनियमित किया जाता है तो यह धार्मिक विश्वासों के आधार पर वर्तमान में अलग किए गए कानूनों को सरल बना देगा। आइए इसे आसान भाषा में समझते हैं।
अगर पूरे देश में एक ही कानून लागू होगा तो कोई भी कमजोर वर्ग पर अपना दबदबा नहीं बना पाएगा। धर्म के नाम पर किसी भी तरह की किसी के साथ जाती वर्ग के साथ भेदभाव नहीं होगा। सभी नागरिकों को उनके धर्म, वर्ग, जाति, लिंग आदि के बावजूद समान दर्जा प्रदान होगा। इससे लैंगिक समानता को बढ़ावा मिलेगा। पुरुषों और महिलाओं दोनों को बराबरी पर लाया जाएगा। इन सभी कोशिशों से राष्ट्र निर्माण की दिशा में उनकी पूरी क्षमता का प्रयोग किया जाएगा।
इस कोड के लागू होने पर सबसे ज्यादा लाभ मुस्लिम वर्ग को होगा। धर्म के नाम पर अब यह वर्ग मनमानी नहीं कर पाएंगे। जिसके चलते महिलाओं को प्रताड़ित नहीं होना पड़ेगा। यह कानून लागू हो जाने पर देश की एकता और तरक्की में काफी इजाफा देखने को मिलेगा। हर वर्ग एकजुट हो देश को आगे बढ़ाने का कार्य करेगा। जब यह कोड बनाया जाएगा तो यह उन कानूनों को सरल बनाने का काम करेगा जो वर्तमान में धार्मिक मान्यताओं जैसे हिंदू कोड बिल, शरीयत कानून और अन्य के आधार पर अलग-अलग हैं।